गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम (लगभग 415-455 ईस्वी) का संबंध विल्सद स्तंभ अभिलेख से है। यह अभिलेख उत्तर प्रदेश के एटा जिले के विल्सद नामक स्थान पर स्थित एक स्तंभ पर खुदा हुआ है।
अतिरिक्त जानकारी:
अभिलेख का महत्व: विल्सद स्तंभ अभिलेख कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल के शुरुआती वर्षों (415 ईस्वी) की जानकारी देता है। यह अभिलेख गुप्त वंश की वंशावली, कुमारगुप्त के शासन और उस समय की धार्मिक मान्यताओं पर प्रकाश डालता है।
अभिलेख में उल्लेखित बातें: इस अभिलेख में कुमारगुप्त प्रथम को 'परम-भट्टारक महाराजाधिराज' कहा गया है, जो उनकी उच्च उपाधि और शक्ति का संकेत है। यह अभिलेख कुमारगुप्त के पिता चंद्रगुप्त द्वितीय और दादा समुद्रगुप्त का भी उल्लेख करता है। अभिलेख में एक मंदिर के निर्माण और कुछ धार्मिक दान का भी विवरण है।
भाषा और लिपि: विल्सद स्तंभ अभिलेख संस्कृत भाषा में है और इसे ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है। यह गुप्त काल की कला और लिपि के विकास का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
पुरातत्विक महत्व: विल्सद स्तंभ, जहाँ यह अभिलेख स्थित है, एक महत्वपूर्ण पुरातत्विक स्थल है। इस स्थल से गुप्त काल की कई अन्य कलाकृतियाँ और अवशेष भी मिले हैं, जो उस समय की संस्कृति और सभ्यता पर प्रकाश डालते हैं।
संक्षेप में, विल्सद स्तंभ अभिलेख कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो गुप्त वंश के इतिहास, प्रशासन और धार्मिक मान्यताओं के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है।
Answered :- 2022-12-09 15:43:35
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