जातिवृत्तीय पद्धति में पौधों को उनके वृद्धि तथा उद्भव को ध्यान में रखकर वर्गीकृत किया जाता है अर्थात् विकास, आनुवंशिक लक्षणों तथा जनन गुणों के आधार पर समूह तथा उपसमूह बनाये जाते हैं।

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