अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र उदायिन ने 461 ईसा पूर्व में की थी। यह घटना प्राचीन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, क्योंकि इसने हर्यक वंश में सत्ता के हस्तांतरण और राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाया।
परिस्थितियाँ: ऐतिहासिक स्रोतों से पता चलता है कि अजातशत्रु एक महत्वाकांक्षी और शक्तिशाली शासक था, जिसने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए कई युद्ध लड़े। संभव है कि उदायिन अपने पिता की नीतियों से असंतुष्ट था, या फिर वह सिंहासन के लिए उत्सुक था। कुछ कहानियाँ यह भी बताती हैं कि अजातशत्रु अपने अंतिम दिनों में अलोकप्रिय हो गया था, जिससे उदायिन को विद्रोह करने का अवसर मिला।
उदायिन का शासन: अजातशत्रु की हत्या के बाद, उदायिन मगध का शासक बना। उसने पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) शहर की स्थापना की और उसे अपनी राजधानी बनाया। उदायिन के शासनकाल में मगध ने राजनीतिक और आर्थिक रूप से विकास किया, लेकिन उसका शासनकाल भी पारिवारिक कलह और षडयंत्रों से भरा हुआ था।
हर्यक वंश का पतन: उदायिन के बाद, हर्यक वंश कमजोर होता चला गया। उसके उत्तराधिकारी अयोग्य साबित हुए, और अंततः शिशुनाग वंश ने मगध पर कब्जा कर लिया। इस प्रकार, अजातशत्रु की हत्या हर्यक वंश के पतन की शुरुआत थी।
ऐतिहासिक महत्व: अजातशत्रु की हत्या और उदायिन का सिंहासन पर बैठना प्राचीन भारत में पितृहत्या की एक दुर्लभ घटना है। यह घटना सत्ता, महत्वाकांक्षा और पारिवारिक संबंधों के जटिल जाल को दर्शाती है। इसके अतिरिक्त, यह मगध साम्राज्य के उदय और हर्यक वंश के पतन की कहानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
Answered :- 2022-12-08 07:55:41
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