अजातशत्रु पहले जैन धर्म से प्रभावित था, लेकिन बाद में वह बुद्ध के उपदेशों से भी प्रभावित हुआ और उसने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया।
अजातशत्रु मगध का एक शक्तिशाली राजा था, जिसने अपने पिता बिम्बिसार को मारकर सिंहासन हासिल किया था। शुरुआती दौर में वह जैन धर्म से प्रभावित था, संभवतः उसकी मां चेलना के प्रभाव के कारण, जो एक जैन उपासिका थीं। जैन ग्रंथों में अजातशत्रु को 'कुणिक' के नाम से भी जाना जाता है और उसे जैन धर्म का अनुयायी बताया गया है।
हालांकि, बाद में अजातशत्रु भगवान बुद्ध के संपर्क में आया और उनके उपदेशों से बहुत प्रभावित हुआ। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार, उसने बुद्ध से कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे और उनके उत्तरों से संतुष्ट होकर बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया। उसने बौद्ध संघों को दान दिया और बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अजातशत्रु का धार्मिक झुकाव समय के साथ बदलता रहा। उसने जैन और बौद्ध दोनों धर्मों को संरक्षण दिया, जिससे मगध में इन दोनों धर्मों का विकास हुआ। अजातशत्रु की धार्मिक सहिष्णुता की नीति ने उसके साम्राज्य को स्थिरता और समृद्धि प्रदान की।
इस प्रकार, यह कहना सही होगा कि अजातशत्रु शुरू में जैन धर्म से प्रभावित था, लेकिन बाद में वह बौद्ध धर्म का भी संरक्षक बना।
Answered :- 2022-12-08 07:58:06
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