जैन धर्म के इक्कीसवें तीर्थंकर, नामिनाथ, को नीलकमल (नीला कमल) से पहचाना जाता है। यह प्रतीक चिन्ह उनके गुणों और शिक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
नीलकमल का गहरा नीला रंग ज्ञान, शांति और निर्मलता का प्रतीक है। जिस प्रकार कमल कीचड़ में उगकर भी अपनी सुंदरता और पवित्रता बनाए रखता है, उसी प्रकार नामिनाथ ने सांसारिक बंधनों और इच्छाओं से ऊपर उठकर आत्म-ज्ञान प्राप्त किया।
नामिनाथ के जीवन से जुड़ी कथाओं के अनुसार, उन्होंने राजकुमार के रूप में अपने अधिकार का त्याग कर तपस्वी जीवन अपनाया। उन्होंने गहन ध्यान और तपस्या के माध्यम से कर्मों का नाश किया और कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के जैन सिद्धांतों का प्रचार किया।
नामिनाथ का नीलकमल का प्रतीक हमें यह याद दिलाता है कि हम भी अपने जीवन में ज्ञान, शांति और निर्मलता को प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं। जिस प्रकार कमल अपनी जड़ें कीचड़ में होने के बावजूद सुंदर बना रहता है, उसी प्रकार हम भी सांसारिक चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी आंतरिक शांति और सत्यनिष्ठा बनाए रख सकते हैं। नीलकमल हमें सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।
Answered :- 2022-12-09 07:10:10
Academy