अजातशत्रु ने गौतम बुद्ध के चचेरे भाई देवदत्त के कहने पर अपने पिता बिम्बिसार की हत्या की थी। यह घटना मगध साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी।
बिम्बिसार और अजातशत्रु: बिम्बिसार हर्यक वंश के राजा थे और अजातशत्रु उनके पुत्र। बिम्बिसार ने मगध को एक शक्तिशाली साम्राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अजातशत्रु सिंहासन के लिए अधीर था, और सत्ता हासिल करने की उसकी महत्वाकांक्षा ने उसे अपने पिता की हत्या करने के लिए प्रेरित किया।
देवदत्त की भूमिका: देवदत्त, बुद्ध के चचेरे भाई होने के बावजूद, बुद्ध के विरोधी थे। उन्होंने संघ में फूट डालने और बुद्ध को मारने की भी कोशिश की थी। देवदत्त ने अजातशत्रु को उकसाया कि उसके पिता उसे सिंहासन नहीं देंगे और उसे जल्दी से सत्ता हासिल कर लेनी चाहिए। देवदत्त ने अजातशत्रु को यह भी विश्वास दिलाया कि बिम्बिसार को मारने से उसे शक्तिशाली बनने में मदद मिलेगी।
परिणाम: पितृहत्या के बाद अजातशत्रु मगध का राजा बना। उसने लिच्छवियों के साथ युद्ध करके और अन्य क्षेत्रों को जीतकर मगध साम्राज्य का विस्तार किया। हालांकि, उसने अपने पिता की हत्या के कारण गहरा अपराधबोध भी महसूस किया, और बौद्ध ग्रंथों में यह उल्लेख मिलता है कि बाद में उसने बुद्ध की शरण ली और बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया।
ऐतिहासिक महत्व: यह घटना सत्ता के लिए संघर्ष और महत्वाकांक्षा की क्रूरता को दर्शाती है। यह मगध साम्राज्य के उदय और हर्यक वंश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है।
Answered :- 2022-12-08 07:55:41
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