अजातशत्रु ने राजगृह में विशाल स्तूप का निर्माण करवाया था, जिसे बाद में 'महापरिनिर्वाण स्तूप' के रूप में जाना गया। यह स्तूप भगवान बुद्ध के अवशेषों को रखने के लिए बनवाया गया था। माना जाता है कि बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद, उनके अस्थि अवशेषों को आठ भागों में विभाजित किया गया था, और मगध के शासक होने के नाते, अजातशत्रु को भी एक भाग मिला था। इस स्तूप का निर्माण अजातशत्रु ने बुद्ध और बौद्ध धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाने के लिए करवाया था। राजगृह (आधुनिक राजगीर, बिहार) उस समय मगध साम्राज्य की राजधानी थी और बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी। यह स्तूप न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह अजातशत्रु के शासनकाल की समृद्धि और शक्ति का भी प्रतीक था। यद्यपि मूल स्तूप समय के साथ नष्ट हो गया, लेकिन इसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं। पुरातत्वविदों ने इस स्थान की खुदाई की है और स्तूप के कुछ हिस्सों को खोज निकाला है, जो उस समय की वास्तुकला और कला के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। यह स्तूप बौद्ध धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए एक पवित्र स्थल है।

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