अजातशत्रु, प्रारंभ में जैन धर्म का अनुयायी था, लेकिन बाद में वह बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया था। प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि: अजातशत्रु, मगध के शक्तिशाली हर्यक वंश का राजा था। वह राजा बिंबिसार का पुत्र था। उसने अपने पिता की हत्या करके सिंहासन प्राप्त किया था। बौद्ध धर्म में रूपांतरण: बौद्ध धर्म ग्रंथों के अनुसार, अजातशत्रु ने बुद्ध के उपदेशों से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म अपनाया था। उसने बुद्ध के शिष्य जीवक से भी परामर्श किया था। बौद्ध धर्म के प्रति योगदान: अजातशत्रु ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने राजगृह में प्रथम बौद्ध संगीति (परिषद) का आयोजन करवाया था, जो बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके उपदेशों को संग्रहित करने और व्यवस्थित करने के लिए आयोजित की गई थी। ऐतिहासिक महत्व: अजातशत्रु का बौद्ध धर्म अपनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि बौद्ध धर्म उस समय के शासकों और प्रभावशाली व्यक्तियों के बीच लोकप्रिय हो रहा था। यह मगध साम्राज्य में बौद्ध धर्म के विकास और प्रभाव को भी दर्शाता है।

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