भारत में अब तक 50 (वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सहित) लोगों ने देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा की है। भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश के रूप में एच. जे. कनिया ने 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी।डी. वाई. चंद्रचूड़ भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश हैं। डी. वाई. चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 से भारत के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाल रहे हैं।
जस्टिस जगदीश सिंह खेहर सिख समुदाय के पहले जस्टिस बने थे। रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश थे और उन्हे 03 अक्टूबर 2018 को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। CJI बनने के बाद जस्टिस रंजन गोगोई करीब 1 साल 1 महीने तक अपने पद पर रहे और 17 नवंबर, 2019 को रिटायर हो गए। असम के रहने वाले जस्टिस गोगोई पूर्वोत्तर भारत से देश के पहले चीफ जस्टिस थे।
परम्परा के मुताबिक कार्यकाल पूरा करने वाले मुख्य न्यायाधीश अपनी सेवानिवृत्ति से 30 दिन पहले अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश सरकार को भेजते हैं और पूर्व जस्टिस दीपक मिश्रा ने केंद्र सरकार से रंजन गोगोई के नाम की सिफ़ारिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश डॉ० न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त किया गया है. 50 वें CJI के रूप में डी. वाई. चंद्रचूड़ पदभार ग्रहण कर रहे है जिन्होंने 9 नवंबर 2022 को शपथ ली थी वह इस पद पर 10 नवंबर 2024 तक बने रहेंगे. जाने वर्ष 1950 से 2022 तक नियुक्त हुए भारत के सभी मुख्य न्यायाधीशों के नाम, उनकी योग्यताएँ और कार्यकाल अवधि के बारे सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है।
नाम | कार्यकाल अवधि | न्यायालय |
एच. जे. कनिया | 26 जनवरी 1950 से 06 नवम्बर 1951 तक | मुंबई उच्च न्यायालय |
एम. पी. शास्त्री | 07 नवम्बर 1951 से 03 जनवरी 1954 तक | मद्रास उच्च न्यायालय |
मेहरचंद महाजन | 04 जनवरी 1954 से 22 दिसम्बर 1954 तक | पूर्वी पंजाब उच्च न्यायालय |
बी. के. मुखर्जी | 23 दिसम्बर 1954 से 31 जनवरी1956 तक | कोलकाता उच्च न्यायालय |
एस. आर. दास | 01 फरवरी 1956 से 30 सितम्बर 1959 तक | कोलकाता उच्च न्यायालय |
बी. पी. सिन्हा | 01 अक्टूबर 1959 से 31 जनवरी 1964 तक | पटना उच्च न्यायालय |
पी. बी. गजेन्द्रगढ़कर | 01 फरवरी 1964 से 15 मार्च 1966 तक | मुंबई उच्च न्यायालय |
ए. के. सरकार | 16 मार्च 1966 से 29 जून 1966 तक | कोलकाता उच्च न्यायालय |
के. एस. राव | 30 जून 1966 से 11 अप्रैल 1967 तक | मद्रास उच्च न्यायालय |
के. एन. वान्चू | 12 अप्रैल 1967 से 24 फरवरी 1968 तक | इलाहाबाद उच्च न्यायालय |
एम. हिदायतुल्ला | 25 फरवरी 1968 से 16 दिसम्बर 1970 तक | मुंबई उच्च न्यायालय |
जे. सी. शाह | 17 दिसम्बर 1970 से 21 जनवरी 1971 तक | मुंबई उच्च न्यायालय |
एस. एम. सिकरी | 22 जनवरी 1971 से 25 अप्रैल 1973 तक | लाहौर उच्च न्यायालय |
ए. एन. रे | 26 अप्रैल 1973 से 27 जनवरी 1977 तक | कोलकाता उच्च न्यायालय |
मिर्जा हमीदुल्ला बेग | 28 जनवरी 1977 से 21 फरवरी 1978 तक | इलाहाबाद उच्च न्यायालय |
वाई. वी. चंद्रचूड़ | 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक | मुंबई उच्च न्यायालय |
पी. एन. भगवती | 12 जुलाई 1985 से 20 दिसम्बर 1986 तक | गुजरात उच्च न्यायालय |
आर. एस. पाठक | 21 दिसम्बर 1986 से 18 जून 1989 तक | इलाहाबाद उच्च न्यायालय |
ई. एस. वेंकटरमैय्या | 19 जून 1989 से 17 दिसम्बर 1989 तक | कर्नाटक उच्च न्यायालय |
एस. मुखर्जी | 18 दिसम्बर 1989 से 25 सितम्बर 1990 तक | कोलकाता उच्च न्यायालय |
रंगनाथ मिश्र | 26 सितम्बर 1990 से 24 नवम्बर 1991 तक | उड़ीसा उच्च न्यायालय |
के. एन. सिंह | 25 नवम्बर 1991 से 12 दिसम्बर 1991 तक | इलाहाबाद उच्च न्यायालय |
एम. एच. कनिया | 13 दिसम्बर 1991 से 17 नवम्बर 1992 तक | मुंबई उच्च न्यायालय |
एल. एम. शर्मा | 18 नवम्बर 1992 से 11 फरवरी 1993 तक | पटना उच्च न्यायालय |
एम. एन. वेंकटचेलैय्या | 12 फरवरी 1993 से 24 अक्टूबर 1994 तक | कर्नाटक उच्च न्यायालय |
ए. एम. अहमदी | 25 अक्टूबर 1994 से 24 मार्च 1997 तक | गुजरात उच्च न्यायालय |
जे. एस. वर्मा | 25 मार्च 1997 से 17 जनवरी 1998 तक | मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय |
एम. एम. पुंछी | 18 जनवरी 1998 से 09 अक्टूबर 1998 तक | पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय |
ए. एस. आनंद | 10 अक्टूबर 1998 से 11 जनवरी 2001 तक | जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय |
एस. पी. भरुचा | 11 जनवरी 2001 से 06 मई 2002 तक | मुंबई उच्च न्यायालय |
बी. एन. कृपाल | 06 मई 2002 से 08 नवम्बर 2002 तक | दिल्ली उच्च न्यायालय |
जी. बी. पटनायक | 08 नवम्बर 2002 से 19 दिसम्बर 2002 तक | उड़ीसा उच्च न्यायालय |
वी. एन. खरे | 19 2002 से 02 मई 2004 तक | इलाहाबाद उच्च न्यायालय |
राजेन्द्र बाबू | 02 मई 2004 से 01 जून 2004 तक | कर्नाटक उच्च न्यायालय |
आर. सी. लहोटी | 01 जून 2004 से 01 नवम्बर 2005 तक | मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय |
वाई. के. सभरवाल | 01 नवम्बर 2005 से 13 जनवरी 2007 तक | दिल्ली उच्च न्यायालय |
के. जी. बालकृष्णन | 13 जनवरी 2007 से 11 मई 2010 तक | केरल उच्च न्यायालय |
एस. एच. कापड़िया | 12 मई 2010 से 28 2012 तक | मुंबई उच्च न्यायालय |
अल्तमास कबीर | 29 सितम्बर 2012 से 18 जुलाई 2013 तक | कोलकाता उच्च न्यायालय |
पी. सतशिवम | 19 जुलाई 2013 से 26 अप्रैल 2014 तक | मद्रास उच्च न्यायालय |
राजेन्द्र मल लोढ़ा | 26 अप्रैल 2014 से 27 सितम्बर 2014 तक | राजस्थान उच्च न्यायालय |
एच. एल. दत्तु | 28 सितम्बर 2014 से 02 दिसम्बर 2015 तक | केरल उच्च न्यायालय व छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय |
तीरथ सिंह ठाकुर | 03 दिसम्बर 2015 से 03 जनवरी 2017 तक | पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय |
जगदीश सिंह खेहर | 04 जनवरी 2017 से 27 अगस्त 2017 तक | पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक एवं उच्च न्यायालय |
दीपक मिश्रा | 28 अगस्त 2017 से 02 अक्टूबर 2018 तक | दिल्ली, पटना, उड़ीसा उच्च न्यायालय |
रंजन गोगोई | 03 अक्टूबर 2018 से 17 नवम्बर 2019 तक | पंजाब, हरियाणा, गुवाहाटी उच्च न्यायालय |
शरद अरविंद बोबडे | 18 नवंबर 2019 से 23 अप्रैल, 2021 तक | बॉम्बे, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय |
नूतलपाटि वेंकटरमण रमना | 24 अप्रैल, 2021 से 26 अगस्त, 2022 | दिल्ली उच्च न्यायालय |
उदय यू. ललित | 27 अगस्त 2022 - 8 नवंबर 2022 | भारतीय विधिज्ञ परिषद |
डॉ० न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ | 9 नवंबर 2022 - पदस्थ | बॉम्बे उच्च न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय |
उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय के परामर्शानुसार की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इस प्रसंग में राष्ट्रपति को परामर्श देने से पूर्व अनिवार्य रूप से चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के समूह से परामर्श प्राप्त करते हैं तथा इस समूह से प्राप्त परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं। अनुछेद 124 के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सलाह लेगा। वहीं अन्य जजों की नियुक्ति के समय उसे अनिवार्य रूप से मुख्य न्यायाधीश की सलाह माननी पड़ेगी।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष होती है। न्यायाधीशों को केवल (महाभियोग) दुर्व्यवहार या असमर्थता के सिद्ध होने पर संसद के दोनों सदनों द्वारा दो-तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव के आधार पर ही राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।