भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अर्थात इसरो भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है। इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई थी। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है। इसरो का मुख्यालय कर्नाटक राज्य की राजधानी बंगलुरू में स्थित है। सन 1963 से अब तक इसरो के 10 चेयरमैन बने हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वर्तमान अध्यक्ष या चेयरमैन डॉ. कैलासवादिवू सिवान है। उन्होंने ए. एस. किरण कुमार का स्थान लिया है। इसरो के पहले चेयरमैन डॉ. विक्रम साराभाई थे।
इसरो के बारे में संक्षिप्त विवरण:
मुख्यालय |
बैंगलोर या बेंगलुरू, कर्नाटक (भारत) |
स्थापना |
15 अगस्त 1969 |
प्रथम अध्यक्ष (चेयरमैन) |
विक्रम साराभाई |
वर्तमान अध्यक्ष (चेयरमैन) |
डॉ. कै. शिवन |
आदर्श वाक्य |
"मानव जाति की सेवा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी" |
मालिक |
भारत |
वर्ष 1963 से अब तक सभी इसरो चेयरमैनों की सूची:
चेयरमैन का नाम |
कार्यकाल |
कार्यकाल अवधि |
विक्रम साराभाई |
1963 से 1972 तक |
9 वर्ष |
एम. जी. के. मेनन |
जनवरी 1972 से सितम्बर 1972 |
9 महीने |
सतीश धवन |
1972 से 1984 तक |
12 वर्ष |
प्रो. यू. आर. राव |
1984 से 1994 तक |
10 वर्ष |
के. कस्तुरीरंगन |
1994 से 2003 तक |
9 वर्ष |
जी. माधवन नायर |
2003 से 2009 तक |
6 वर्ष |
के. राधाकृष्णन |
2009 से 2014 तक |
5 वर्ष |
शैलेश नायक |
01 जनवरी 2015 से 12 जनवरी 2015 तक |
12 दिन |
ए. एस. किरण कुमार |
2015 से 2018 तक |
3 वर्ष |
डॉ. कै. शिवन |
10 जनवरी 2018 से वर्तमान |
पदस्थ |
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े महत्वपूर्ण रोचक तथ्य:
- भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट था, इसकी शुरूआत सोवियत संघ द्वारा 19 अप्रैल 1975 में की गयी थी। इस उपग्रह का नाम मशहूर गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था।
- भारत के दूसरे उपग्रह का नाम भास्कर था। जिसका वजन 445 किलो था। 07 जून 1979 को भास्कर को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया।
- मंगलयान, (मार्स ऑर्बिटर मिशन), भारत का प्रथम मंगल अभियान है। 5 नवम्बर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु छोड़ा गया था। 24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुँचने के साथ ही भारत विश्व में अपने प्रथम प्रयास में ही सफल होने वाला पहला देश तथा सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया है।
- साल 2014 में इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- इसरो ने 29 सितंबर 2015 को मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला को स्थापित किया।
- इसरो जून 2016 तक लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।
- इसरो की वजह से भारत उन 6 देशों में शामिल है, जो अपना उपग्रह खुद भेज सकते है
- इसरो ने 40 साल में जितना पैसा खर्च किया है, उसका दुगना नासा एक साल में करती है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में लगभग 17, 000 कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
- 1962: परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये एक राष्ट्रीय समिति का गठन और त्रिवेन्द्रम के समीप थुम्बा में राकेट प्रक्षेपण स्थल के विकास की दिशा में पहला प्रयास प्रारंभ।
- 1963: थुंबा से (21 नवंबर) को पहले राकेट का प्रक्षेपण।
- 1965: थुंबा में अंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी केन्द्र की स्थापना।
- 1967: अहमदाबाद में उपग्रह संचार प्रणाली केन्द्र की स्थापना।
- 1972: अंतरिक्ष आयोग एवं अंतरिक्ष विभाग की स्थापना।
- 1975: पहले भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट का (19 अप्रैल) को प्रक्षेपण।
- 1976: उपग्रह के माध्यम से पहली बार शिक्षा देने के लिये प्रायोगिक कदम।
- 1979: एक प्रायोगिक उपग्रह भास्कर-1 का प्रक्षेपण। रोहिणी उपग्रह का पहले प्रायोगिक परीक्षण यान एस एल वी-3 की सहायता से प्रक्षेपण असफल।
- 1980: एस एल वी-3 की सहायता से रोहिणी उपग्रह का सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापन।
- 1981: एप्पल नामक भूवैज्ञानिक संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण। नवंबर में भास्कर - 2 का प्रक्षेपण।
- 1982: इन्सैट-1A का अप्रैल में प्रक्षेपण और सितंबर अक्रियकरण।
- 1983: एस एल वी-3 का दूसरा प्रक्षेपण। आर एस-डी2 की कक्षा में स्थापना। इन्सैट-1B का प्रक्षेपण।
- 1984: भारत और सोवियत संघ द्वारा संयुक्त अंतरिक्ष अभियान में राकेश शर्मा का पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनना।
- 1987: ए. एस. एल. वी का SROSS-1 उपग्रह के साथ प्रक्षेपण।
- 1988: भारत का पहला दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस-1ए का प्रक्षेपण. इन्सैट-1C का जुलाई में प्रक्षेपण। नवंबर में परित्याग।
- 1990: इन्सैट-1D का सफल प्रक्षेपण।
- 1991: अगस्त में दूसरा दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस एस-1बी का प्रक्षेपण।
- 1992: SROCC-C के साथ ए एस एल वी द्वारा तीसरा प्रक्षेपण मई महीने में। पूरी तरह स्वेदेशी तकनीक से बने उपग्रह इन्सैट-2A का सफल प्रक्षेपण।
- 1993: इन्सैट-2B का जुलाई महीने में सफल प्रक्षेपण। पी. एस. एल. वी. द्वारा दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस एस-1E का दुर्घटनाग्रस्त होना।
- 1994: मई महीने में एस एस एल वी का चौथा सफल प्रक्षेपण।
- 1995: दिसंबर महीने में इन्सैट-2C का प्रक्षेपण। तीसरे दूर संवेदी उपग्रह का सफल प्रक्षेपण।
- 1996: तीसरे भारतीय दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस एस-P3 का पी एस एल वी की सहायता से मार्च महीने में सफल प्रक्षेपण।
- 1997: जून महीने में प्रक्षेपित इन्सैट-2D का अक्टूबर महीने में खराब होना। सितंबर महीने में पी एस एल वी की सहायता से भारतीय दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस एस-1D का सफल प्रक्षेपण।
- 1999: इन्सैट-2E इन्सैट-2 क्रम के आखिरी उपग्रह का फ्रांस से सफल प्रक्षेपण। भारतीय दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस एस-P4 श्रीहरिकोटा परिक्षण केन्द्र से सफल प्रक्षेपण। पहली बार भारत से विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण: दक्षिण कोरिया के किटसैट-3 और जर्मनी के डी सी आर-टूबसैट का सफल परीक्षण।
- 2000: इन्सैट-3B का 22 मार्च, 2000 को सफल प्रक्षेपण।
- 2001: जी एस एल वी-D1, का प्रक्षेपण आंशिक सफल।
- 2002: जनवरी महीने में इन्सैट-3C का सफल प्रक्षेपण। पी एस एल वी-C4 द्वारा कल्पना-1 का सितंबर में सफल प्रक्षेपण।
- 2004: जी एस एल वी एड्यूसैट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण।
- 2008: 22 अक्टूबर को चन्द्रयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
- 2013: 05 नवम्बर को मंगलयान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
- 2014: 24 सितम्बर को मंगलयान (प्रक्षेपण के 298 दिन बाद) मंगल की कक्षा में स्थापित
- 2014: 05 जनवरी 2014 को भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-डी5) का सफल प्रक्षेपण।
- 2014: 04 अप्रैल 2014 को आईआरएनएसएस-1बी का सफल प्रक्षेपण।
- 2014: 16 अक्टूबर 2014 को आईआरएनएसएस-1 का सफल प्रक्षेपण।
- 2014: 18 दिसंबर 2014 को जीएसएलवी एमके-3 की सफल पहली प्रायोगिक उड़ान।
- 2015: 29 सितंबर को खगोलीय शोध को समर्पित भारत की पहली वेधशाला एस्ट्रोसैट का सफल प्रक्षेपण किया।
- 2016: 23 मई को पूरी तरह भारत में बना अपना पहला पुनर्प्रयोज्य अंतरिक्ष शटल (रियूजेबल स्पेस शटल) प्रमोचित किया।
- 2016: 22 जून को पीएसएलवी सी-34 के माध्यम से रिकॉर्ड 20 उपग्रह एक साथ छोड़े गए।
- 2016: 28 को अगस्त को वायुमंडल प्रणोदन प्रणाली वाला स्क्रेमजेट इंजन का पहला प्रायोगिक परीक्षण सफल।
- 2016: 08 सितंबर को स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज(सीयूएस) का पहली बार प्रयोग करते हुए जीएसएलवी-एफ05 की सफल उड़ान के साथ इनसैट-3डीआर अंतरिक्ष में स्थापित।
- 2017: 15 फरवरी को एक साथ 104 उपग्रह प्रक्षेपित करके विश्व कीर्तिमान बनाया। PSLV-C37/Cartosat2 शृंखला उपग्रह मिशन में कार्टोसैट-2 के अलावा 101 अन्तरराष्ट्रीय लघु-उपग्रह (नैनो-सैटेलाइट) और दो भारतीय लघु-उपग्रह INS-1A तथा INS-1B थे।
- 2018: पी.एस.एल.वी.-सी41/आई.आर.एन.एस.एस.-1आई. मिशन का गुरुवार 12 अप्रैल, 2018 को 04:04 बजे लॉंच किया गया पी.एस.एल.वी. के एक्स.एल.संरूपण का उपयोग बीसवीं बार किया गया है। आई.आर.एन.एस.एस.-1आई. नाविक नौवहन उपग्रह समूह में शामिल होने वाला आठवाँ उपग्रह है।
- 2019: भारत ने चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारतीय समयानुसार 02:43 अपराह्न को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया। जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर एक Soft लैंडिंग का संचालन करने वाला पहला अंतरिक्ष मिशन था।
- 2019: 27 नवंबर 2019 कार्टोसैट सीरीज के नवीनतम उपग्रह कार्टोसैट-3 को सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित कर दिया गयाथा। इसके साथ गए अमेरिका के 13 छोटे उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक उनकी कक्षाओं में भेज दिया गया था। कार्टोसेट अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट ऐसी सैटेलाइट है जिससे पृथ्वी की साफ तस्वीर ली जा सकती है। इसकी तस्वीर इतनी साफ होगी कि किसी व्यक्ति के हाथ में बंधी घड़ी के समय को भी स्पष्ट देखा जा सकेगा। मुख्य रूप से इसका काम अंतरिक्ष से भारत की जमीन पर नजर रखना है।