नाम | कार्यकाल | रोचक तथ्य |
डा. राजेन्द्र प्रसाद | 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक | संविधान सभा के अध्यक्ष |
डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक | उप-राष्ट्रपति |
डा. जाकिर हुसैन | 13 मई 1967 से 03 मई 1969 तक | कार्यकाल में मृत्यु |
वी.वी. गिरि (कार्यवाहक) | 3 मई 1969 से 20 जुलाई 1969 तक | उप-राष्ट्रपति |
मोहम्मद हिदायतउल्ला (कार्यवाहक) | 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक | मुख्य न्यायाधीश |
वी.वी. गिरी | 24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974 तक | स्वतन्त्र उम्मीदवार के रूप में ते |
फखरुद्दीन अली अहमद | 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक | केन्द्रीय मंत्री (कार्यकाल में मृत्यु) |
बीडी जत्ती (कार्यवाहक) | 11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977 तक | उप-राष्ट्रपति |
नीलम संजीव रेड्डी | 25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982 तक | निर्विरोध निर्वाचित, 1929 में पराजित |
एम. हिदायतुल्ला (कार्यवाहक) | 02 अक्टूबर 1982 से 31 अक्टूबर 1982 तक | उप-राष्ट्रपति |
ज्ञानी जैल सिंह | 25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987 तक | प्रथम सिख राष्ट्रपति |
रामास्वामी वेंकटरामन | 25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992 तक | उप-राष्ट्रपति |
शंकरदयाल शर्मा | 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 तक | उप-राष्ट्रपति (4 प्रधानमंत्रियों के साथ काम) |
डा. के. आर.नारायणन | 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक | प्रथम दलित |
डा. ए.पी. जे. अब्दुल कलाम | 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक | वैज्ञानिक, मिसाइल कार्यक्रम के प्रणेता |
श्रीमती प्रतिभा पाटिल | 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक | प्रथम महिला राष्ट्रपति |
प्रणब मुख़र्जी | 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक | वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री |
रामनाथ कोविंद | 25 जुलाई 2017 से 24 जुलाई 2022 | बिहार के राज्यपाल |
द्रौपदी मुर्मू | 25 जुलाई 2022 से अभी तक | ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं। 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था। |
भारत के राष्ट्रपति: भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है, जो अपनी विविधता तथा अपनी एकता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। भारत पर लगभग 200 वर्षो तक ब्रिटिश साम्राज्य ने शासन किया, उनके शासन काल के दौरान उन्होने न केवल भारत सामाजिक एवं संस्कृति को प्रभावित किया बल्कि उन्होने भारत की राजनीति को भी प्रभावित किया।
15 अगस्त 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो उस समय भारत के संविधान निर्माण का सुनेहरा दौर चल रहा था, लेकिन संविधान सभा के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यह था कि भारत में किस प्रकार कि शासन प्रणाली अपनाई जाए, तब गहन विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि भारत के अधिकतर लोग ब्रिटेन कि शासन प्रणाली से परिचित है इसलिए भारत में संसदीय प्रणाली को अपना लिया गया।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 52 के अनुसार भारत का राष्ट्रपति राष्ट्र का संवैधानिक प्रमुख है, जो भारत कि संसदीय प्रणाली का प्रधान होता है। राष्ट्रपति को देश के पहले नागरिक होने का दर्जा दिया जाता है। राष्ट्रपति राज्य तथा विभिन्न राज्यों के बीच में सहयोग के लिए एक "अंतर्राज्यीय परिषद की नियुक्ति करता है। भारत की संसदीय प्रणाली ब्रिटेन से ली गई है ऐसे में वहाँ की रानी के पद को भारत में राष्ट्रपति के पद के रूप में उपयोग किया जाता है और बाकी अन्य पद समान रखे गए है।
भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 और 59 में कुछ महत्वपूर्ण योग्यताएं व शर्ते रखी गई है जो निम्नलिखित है-
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव भारत कि स्वतंत्र संवैधानिक निकाय "चुनाव आयोग" करवाता है। यह चुनाव गुप्त चुनाव होता है, जिसमें भारत कि सामान्य जनता भाग नहीं लेती है। भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए संसद के दोनों सदनो के निर्वाचित सदस्य, राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्य और केंद्र शासित प्रदेशों में केवल पुदुचेरी और दिल्ली के विधायक ही भाग ले सकते है। राष्ट्रपति का चुनाव समानुपातिक प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत पद्धति के तहत किया जाता है। जब चुनाव में कोई उम्मीदवार जीत जाता है तो उसकी संवैधानिक नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश करते हैं और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ही राष्ट्रपति को पद का शपथ दिलाते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने के लिये किसी भी उम्मीदवार की उम्र 35 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिये, लोकसभा सदस्य होने की पात्रता रखता हो, संसद अथवा राज्य सदन का सदस्य न हो, कोई लाभ का पद धारण न करता हो, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, केन्द्रीय मंत्री तथा किसी राज्य के मंत्री अपने पद से इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति चुनाव के लिये खड़े हो सकते है। नीचे आजादी के बाद से अब तक भारत के सभी राष्ट्रपतियों की सूची उनके महत्वपूर्ण विवरण के साथ दी गयी है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53 के तहत भारतीय संसद कि सारी की सारी शक्तियाँ भारत के राष्ट्रपति में निहित होंगी, जो उनका उपयोग केवल मंत्रि मण्डल की सलाह (42वें संशोधन) पर ही कर सकता है। राष्ट्रपति की कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ निम्नलिखित है-
भारत का राष्ट्रपति भारत में केवल 3 स्थितियों में ही आपातकाल की घोषणा कर सकता है जो निम्नलिखित है:
आपातकाल की अवधि भारतीय संविधान में 44वें संशोधन के बाद ही निश्चित की गई है। इसके अनुसार भारत के किसी राज्य अथवा भारत में आपातकाल जब तक जारी रह सकता है जब तक संसद इसे मंजूरी देती रहेगी। आपात काल के दौरान प्रत्येक 6 माह पर संसद को अगर इसकी जरूरत महसूस होगी तो वह इसे जारी रखेगी नहीं तो इसे हटाकर पुन: चुनावो का आयोन करेगी।
समान्यत: राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्षो का होता है, परंतु विशेष स्थितियों में उन्हे अपना पद छोडना पद सकता है। अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति पर महाभियोग उस स्थिति में लगाया जा सकता है जब राष्ट्रपति ने संविधान का उल्लघंन किया हो। महाभियोग लगाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया जाता है, जिकी सूचना राष्ट्रपति को 14दिन पहले ही दे दी जाती है। जब उस प्रस्ताव को दोनों सदन मिलकर 1/4 समर्थन दे देते है तो वह प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है और राष्ट्रपति को अपना पद छोडना पड़ता है।
राष्ट्रपति किसकी सलाह/अनुरोध पर लोकसभा को उसकी अवधि की समाप्ति से पहले ही भंग कर सकता है?
लोकसभा, भारतीय संसद का निचला सदन है। भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा है। लोक सभा सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह/अनुरोध पर लोकसभा को उसकी अवधि की समाप्ति से पहले ही भंग कर सकता है।
राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए निर्वाचन मंडल में कौन-से सदस्य शामिल होते है?
राष्ट्रपति का चयन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद और राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य एवं राज्यों की विधान सभाओं एवं साथ ही राष्ट्रीय राजधानी, दिल्ली क्षेत्र तथा संघ शासित क्षेत्र, पुदुचेरी के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित होते हैं।
राष्ट्रपति द्वारा आपात स्थिति की घोषणा के लिए क्या आवश्यक है?
राष्ट्रपति द्वारा आपात स्थिति की घोषणा करने के लिए अगले तीन दिन के अंदर संसद का अनुमोदन (Approval of Parliament) एक आवश्यक तत्व है।
राष्ट्रपति के अध्यादेश की अधिकतम अवधि कितनी होती है?
राष्ट्रपति के अध्यादेश की अधिकतम अवधि 6 माह तक होती है। अध्यादेश ऐसे कानून हैं , जिन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति (भारतीय संसद) द्वारा प्रख्यापित किया जाता है , जिसका संसद के अधिनियम के समान प्रभाव होगा । उन्हें केवल तभी जारी किया जा सकता है जब संसद सत्र में नहीं हो।
संसदीय और राष्ट्रपति शासन प्रणालियाँ किसके बीच के सम्बन्धों के आधार पर वर्गीकृत की जाती है?
संसदीय और राष्ट्रपति शासन प्रणालियाँ विधानमंडल (विधान परिषद भारतीय राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है।) और कार्यपालिका (सरकार का वह अंग होती हैं जो राज्य के शासन का अधिकार रखती हैं और उसकी ज़िम्मेदारी उठाती हैं।) के बीच के सम्बन्धों के आधार पर वर्गीकृत की जाती है।
राष्ट्रपति से क्या आशय है?
राष्ट्रपति देश और सरकार दोनों का प्रमुख है। राष्ट्रपति देश की सरकार का संवैधानिक प्रमुख होता है। और देश का प्रथम नागरिक होता है।
श्री० के० आर० नारायणन भारत के कौन-से राष्ट्रपति बने थे?
केरल में जन्मे कोच्चेरी रामण नारायणन (के आर नारायण) भारत के दसवें राष्ट्रपति थे। उन्होंने त्रावणकोर विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। उनकी गणना भारत के कुशल राजनीतिज्ञों में की जाती है।
भारत के कौन-से राष्ट्रपति लगातार दो कार्यकाल तक अपने पद पर बने रहे?
डॉ राजेन्द्र प्रसाद प्रथम ऐसे भारतीय थे, जो लगातार राष्ट्रपति के दो कार्यकाल तक अपने पद पर बने रहे। वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति भी थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।
पहले राष्ट्रपति के निर्वाचन को चुनौती कहाँ दी जा सकती थी?
पहले राष्ट्रपति के निर्वाचन को चुनौती उच्चतम न्यायालय में दी जा सकती थी। लेकिन 11वें संशोधन ने संविधान के अनुच्छेद 71 में एक नया खंड (4) सम्मिलित किया ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि उपयुक्त निर्वाचक मंडल में किसी भी कारण से किसी भी रिक्ति के अस्तित्व के आधार पर राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव को चुनौती नहीं दी जा सकती है।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से संबंधित चुनाव विवादों का समझौता करने का अधिकार उच्चतम न्यायालय को है। यह उसका कैसा अधिकार है?
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से संबंधित चुनाव विवादों का समझौता करने का अधिकार उच्चतम न्यायालय को है। यह उसका मौलिक अधिकार है। मौलिक अधिकार भारत के संविधान के तीसरे भाग में वर्णित भारतीय नागरिकों को प्रदान किए गए वे अधिकार हैं जो सामान्य स्थिति में सरकार द्वारा सीमित नहीं किए जा सकते हैं और जिनकी सुरक्षा का प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय है।