जैन धर्म के 14वें तीर्थंकर अनन्तनाथ थे। अनन्तनाथ जी का जन्म अयोध्या में हुआ था। उनके पिता राजा सिंहसेन और माता सुयशा देवी थीं। जैन धर्म में, प्रत्येक तीर्थंकर का एक विशेष प्रतीक होता है, और अनन्तनाथ जी का प्रतीक सेही (Porcupine) है। उन्होंने दीक्षा लेकर कठोर तपस्या की और कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया। अनन्तनाथ जी ने अपने अनुयायियों को अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे जैन धर्म के मूलभूत सिद्धांतों का पालन करने का उपदेश दिया। उन्होंने मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन किया। जैन धर्म के अनुयायी उन्हें श्रद्धा और भक्ति के साथ स्मरण करते हैं।

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