यह नृत्य 2000 साल से परम्परा में है। यह तमिलनाडु का शास्त्रीय नृत है। भरतमुनी के ना्यमशास्त्र से इस नृत्य रूप की जानकारी प्राप्त होती है। भरतनाट्टयम नृत्य में तीन मूल भूत भाव को शामिल किया जाता है। ये भाव है - मनः स्थिति, राग अथवा संगीत और ताल अथवा काल संमजन। यह नृत्य “देवदासी प्रथा” पर आधारित है। इसकी शुरुआत अलारिप्पू से व अंत तिल्लाना से होता है। इसके संगीत वाह्यमण्ल में बाँसुरी, मृदंगम, वीणा और करताल वादक शामिल है।
मोहिनीअट्टम की शाब्दिक व्याख्या “मोहिनी” के नृत्य के रूप में की जाती है। यह केरल का शास्त्रीय नृत्य है पौराणिक कथा के अुनसार भगवान विष्णु ने समुद्रमंथन के संबंध में और भष्मासुर के बध की घटना लोगों का मनोरंजन करने के लिए “मोहिनी” वेष धारण किया था। इसका उद्भव केरल के मंदिरों में हुआ था।
करेल के दक्षिण-पश्चिमी राज्य का एक समृद्ध और फलने-फुलने वाला नृत्य कथकली यहाँ की परंपरा का अभिन्न अंग है। कथकली का अर्थ है एक कथा को नाटक या एक नृत्य नाटिका इसमें अभिनेता रामायण, महाभारत और पौराणिक चरित्रों का अभिनय करते है। विभिन्न कलाओं द्वारा मानव, देवता एवं दैत्य अादि को शानदार वेषभूषा और परिधानों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है। इसमें अधिकांशतः पुरूष ही महिलाओं की भूमिका निभाते हैं। किन्तु अभी कुछ समय से महिलाओं को भी शामिल किया जाता है।
कथक नृत्य उत्तर भारत का एक शास्त्रीय नृत्य है। कथक शब्द की उत्पत्ति कथा शब्द से हुई है, जिसका अर्थ एक कहानी से है। इसका प्रारंभ एक मौखिक परंपरा के रूप में हुआ। कथाकार वे लोग होते है, जो प्रायः पौराणिक कथाओं, महाकाव्य एवं दंतकथाओं की उपकथाओं का विस्तृत रूप से वर्णन करते हैं।
कुचिपुड़ी आंध्र प्रदेश में प्रदर्शित होने वाला एक नृत्य-नाटक है। इसका उद्गम 17 वीं शताब्दी में हुआ है। इसमें नृतक सिर पर पानी से भरा घड़ा लेकर शरीर को संतुलित कर एवं पादकौशल से पीतल की थाली की किनारी पर नृत्य करता है।
इसकी दो शैलियां है-
1. नृत्य 2. एकल नृत्य प्रस्तुति
ओड़िसी ओडिसा राज्य का एक शास्त्रीय नृत्य है। यह नृत्य और गायन के रूप में ओडिसी प्रेम और भाव, देवताओेें और मानव से जु़ड़ा संसारिक एवं लोकोत्तर नृत्य एक उच्च शैली का नृत्य है तथा कुछ मात्रा में शास्त्रीय नाट्य शास्त्र तथा अभिनय दर्पण पर आधारित है। चेहरे के भाव हस्त-मुद्राएं और शरीर की गतिविधियों का उपयोग एक निश्चित अनुभूति, एक भावना या नवरसों में से किसी एक संकेत के लिए किया जाता है।
मणिपुरी नृत्य भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। यह नृत्य मुख्यतः हिन्दू वैष्णव प्रसंगों पर आधारित है, जिसमें राधा और कृष्ण के प्रेम प्रसंग प्रमुख है। इसमें शरीर धीमी गति से चलता है, सांकेतिक भव्यता और मनमहोक गति से भुजाएं अंगुलियों तक प्रवाहित होती है।
सत्रीय नृत्य असम का शास्त्रीय नृत्य है। इस नृत्य के संस्थापक महान संत शंकरदेव है। सत्रीय नृत्य का मूल आमतौर पर पौराणिक कथाएं होती है। सत्रीय नृत्य पुरूषों और महिलाओं द्वारा मंच पर प्रदर्शन किया जाता है।
राज्य | लोक नृत्य |
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आंध्रप्रदेश | कुचीपुड़ी, घंटामरदाला, ओट्टम थेडल, वेदी नाटकम। |
असम | बीहू, बीछुआ, नटपूजा, महारास, कालिगोपाल, बागुरुम्बा, नागा नृत्य, खेल गोपाल, ताबाल चोनग्ली, कानोई, झूमूरा होबजानाई। |
बिहार | जाट– जाटिन, बक्खो– बखैन, पनवारिया, सामा चकवा, बिदेसिया। |
गुजरात | गरबा, डांडिया रास, टिप्पनी जुरुन, भावई। |
हरियाणा | झूमर, फाग, डाफ, धमाल, लूर, गुग्गा, खोर, जागोर। |
हिमाचल प्रदेश | झोरा, झाली, छारही, धामन, छापेली, महासू, नटी, डांगी। |
जम्मू और कश्मीर | रऊफ, हीकत, मंदजात, कूद डांडी नाच, दमाली। |
कर्नाटक | यक्षगान, हुट्टारी, सुग्गी, कुनीथा, करगा, लाम्बी। |
केरल | कथकली (शास्त्रीय), ओट्टम थुलाल, मोहिनीअट्टम, काईकोट्टिकली। |
महाराष्ट्र | लावणी, नकाटा, कोली, लेजिम, गाफा, दहीकला दसावतार या बोहादा। |
ओडीशा | ओडिसि (शास्त्रीय), सवारी, घूमरा, पैंरास मुनारी, छाउ। |
पश्चिम बंगाल | काठी, गंभीरा, ढाली, जतरा, बाउल, मरासिया, महाल, कीरतन। |
पंजाब | भांगड़ा, गिद्दा, दफ्फ, धामन, भांड, नकूला। |
राजस्थान | घूमर, चाकरी, गणगौर, झूलन लीला, झूमा, सुईसिनी, घपाल, कालबेलिया। |
तमिलनाडु | भरतनाट्यम, कुमी, कोलट्टम, कवाडी। |
उत्तर प्रदेश | नौटंकी, रासलीला, कजरी, झोरा, चाप्पेली, जैता। |
उत्तराखंड | गढ़वाली, कुंमायुनी, कजरी, रासलीला, छाप्पेली। |
गोवा | तरंगमेल, कोली, देक्खनी, फुग्दी, शिग्मो, घोडे, मोडनी, समायी नृत्य, जगर, रणमाले, गोंफ, टून्नया मेल। |
मध्यप्रदेश | जवारा, मटकी, अडा, खाड़ा नाच, फूलपति, ग्रिदा नृत्य, सालेलार्की, सेलाभडोनी, मंच। |
झारखंड | अलकप, कर्मा मुंडा, अग्नि, झूमर, जनानी झूमर, मर्दाना झूमर, पैका, फगुआ, हूंटा नृत्य, मुंदारी नृत्य, सरहुल, बाराओ, झीटका, डांगा, डोमचक, घोरा नाच। |
छत्तीसगढ़ | गौर मारिया, पैंथी, राउत नाच, पंडवाणी, वेडामती, कपालिक, भारथरी चरित्र, चंदनानी। |
अरुणाचल प्रदेश | बुईया, छालो, वांचो, पासी कोंगकी, पोनुंग, पोपीर, बारडो छाम। |
मणिपुर | डोल चोलम, थांग टा, लाई हाराओबा, पुंग चोलोम, खांबा थाईबी, नूपा नृत्य, रासलीला, खूबक इशेली, लोहू शाह। |
मेघालय | का शाद सुक मिनसेइम, नॉन्गरेम, लाहो। |
मिजोरम | छेरव नृत्य, खुल्लम, चैलम, स्वलाकिन, च्वांगलाईज्वान, जंगतालम, पर लाम, सरलामकई/ सोलाकिया, लंगलम। |
नगालैंड | रंगमा, बांस नृत्य, जीलैंग, सूईरोलियंस, गीथिंगलिम, तिमांगनेतिन, हेतलईयूली। |
सिक्किम | छू फाट नृत्य, सिकमारी, सिंघई चाम या स्नो लायन डांस, याक छाम, डेनजोंग नेनहा, ताशी यांगकू नृत्य, खूखूरी नाच, चुटके नाच, मारूनी नाच। |
त्रिपुरा | होजागिरी । |
लक्ष्यद्वीप | लावा, कोलकाई, परीचाकली। |