अजातशत्रु, जिसे पितृहन्ता कहा जाता है, वास्तव में कुणिक नाम से भी जाना जाता था। यह मगध साम्राज्य के हर्यंक वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था। उसने अपने पिता बिम्बिसार की हत्या करके सिंहासन प्राप्त किया था, इसलिए उसे 'पितृहन्ता' कहा जाता है। कुणिक, अजातशत्रु का बचपन का नाम था, जो बाद में उसके सिंहासन पर बैठने के बाद भी इस्तेमाल होता रहा। अजातशत्रु एक महत्वाकांक्षी और कुशल शासक था। उसने मगध साम्राज्य का विस्तार किया और उसे शक्तिशाली बनाया। उसने पड़ोसी राज्यों, जैसे कोशल और वैशाली के लिच्छवियों के साथ युद्ध किए और उन्हें पराजित किया। अजातशत्रु को बौद्ध धर्म का संरक्षक भी माना जाता है। कहा जाता है कि उसने गौतम बुद्ध के निर्वाण के बाद उनकी अस्थियों पर स्तूपों का निर्माण करवाया था। उसने राजगृह (आधुनिक राजगीर) में पहली बौद्ध संगीति का आयोजन भी करवाया, जिसमें बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को संकलित किया गया था। अजातशत्रु का शासनकाल मगध के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उसने मगध को एक साम्राज्य बनाने की नींव रखी, जिसे बाद में मौर्यों ने और भी अधिक विस्तार दिया।

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