जैनियों के स्वतंत्र ग्रंथ तथा विश्वकोश नन्दिसूत्र एवं अनुयोग द्वार हैं। ये दोनों ही ग्रंथ जैन आगम साहित्य के महत्वपूर्ण अंग हैं और जैन धर्म के सिद्धांतों, दर्शन, और आचारों को समझने के लिए आवश्यक हैं।
नन्दिसूत्र: यह एक सूत्र ग्रंथ है जो जैन भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिए आवश्यक ज्ञान और आचरण की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इसमें ज्ञान के विभिन्न प्रकार, जैसे मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्ययज्ञान और केवलज्ञान का वर्णन है। साथ ही, इसमें जैन दर्शन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों, जैसे अनेकांतवाद और स्यादवाद की भी चर्चा की गई है। नन्दिसूत्र में त्याग, तपस्या, और संयम के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है, जो जैन धर्म के मूल आधार हैं।
अनुयोग द्वार: यह ग्रंथ जैन आगमों के अध्ययन और व्याख्या के लिए एक प्रवेश द्वार के समान है। यह जैन ग्रंथों के विभिन्न पहलुओं, जैसे नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव आदि की विस्तृत व्याख्या करता है। अनुयोग द्वार आगमों को समझने और उनका सही अर्थ निकालने में मदद करता है। यह ग्रंथ जैन धर्म के अनुयायियों को आगमों के गूढ़ अर्थों को समझने और उन्हें अपने जीवन में उतारने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
संक्षेप में, नन्दिसूत्र और अनुयोग द्वार दोनों ही जैन धर्म के ज्ञानकोश हैं जो जैन दर्शन, आचार, और आगमों की गहरी समझ प्रदान करते हैं। ये ग्रंथ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शक हैं और उन्हें मोक्ष के मार्ग पर चलने में मदद करते हैं।
Answered :- 2022-12-09 07:01:32
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