जैन ग्रंथों में बिन्दुसार को सिंहसेन के नाम से जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है क्योंकि यह मौर्य वंश के इस शासक के बारे में विभिन्न धार्मिक परंपराओं में मौजूद अलग-अलग दृष्टिकोणों को दर्शाता है। अन्य स्रोत: जैन ग्रंथों के अलावा, बौद्ध ग्रंथ भी बिन्दुसार का उल्लेख करते हैं, लेकिन विभिन्न नामों और विवरणों के साथ। इससे यह पता चलता है कि बिन्दुसार के शासनकाल और व्यक्तिगत जीवन के बारे में इतिहासकारों के बीच कुछ मतभेद हैं। शासनकाल: बिन्दुसार मौर्य साम्राज्य के दूसरे सम्राट थे, जिन्होंने लगभग 298 ईसा पूर्व से 272 ईसा पूर्व तक शासन किया। उन्होंने अपने पिता, चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित विशाल साम्राज्य को बनाए रखा और उसे आगे बढ़ाया। उपनाम: बिन्दुसार को 'अमित्रघात' (शत्रुओं का नाश करने वाला) के नाम से भी जाना जाता था, जिससे पता चलता है कि उन्होंने अपने शासनकाल में सैन्य अभियान चलाए थे। धर्म: बिन्दुसार की धार्मिक मान्यताओं के बारे में इतिहासकारों में मतभेद है। जैन ग्रंथों में उन्हें सिंहसेन के रूप में उल्लेख किया गया है, जो जैन धर्म के प्रति उनके झुकाव का संकेत दे सकता है। हालांकि, अन्य स्रोत उन्हें आजीवक संप्रदाय का अनुयायी बताते हैं। महत्व: बिन्दुसार का शासनकाल मौर्य साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने अपने पुत्र अशोक को एक विशाल साम्राज्य सौंपा, जिसने बाद में बौद्ध धर्म को अपनाया और उसे विश्व स्तर पर फैलाया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऐतिहासिक आंकड़े और घटनाओं के बारे में विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है ताकि एक व्यापक समझ विकसित की जा सके।

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