जैन तीर्थंकरों की जीवनी कल्पसूत्र में मिलती है, जिसे भद्रबाहु ने लिखा था। इसे और विस्तृत करते हैं: कल्पसूत्र: लेखक: भद्रबाहु (दिगंबर परंपरा के अनुसार, अंतिम श्रुतकेवली)। हालांकि, श्वेतांबर परंपरा में इसे विभिन्न लेखकों द्वारा संकलित माना जाता है। विषय: इसमें मुख्य रूप से तीन भाग हैं: जैन तीर्थंकरों की जीवनी (विशेष रूप से पार्श्वनाथ, महावीर और अन्य 22 तीर्थंकरों का संक्षिप्त वर्णन)। जैन भिक्षुओं के लिए नियम और आचार संहिता (यति जीवन)। सामाचारी (जैन धर्म के मूलभूत सिद्धांत)। भाषा: प्राकृत भाषा में लिखा गया। महत्व: कल्पसूत्र जैन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। इसे जैन पर्युषण पर्व के दौरान पढ़ा जाता है। यह जैन दर्शन, इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। चित्रण: कल्पसूत्र की पांडुलिपियां अक्सर चित्रित होती हैं, जिनमें तीर्थंकरों के जीवन से संबंधित दृश्य होते हैं। ये चित्र मध्ययुगीन भारतीय कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। भद्रबाहु: दिगंबर परंपरा के अनुसार, वे चंद्रगुप्त मौर्य के आध्यात्मिक गुरु थे और उनके साथ दक्षिण भारत चले गए थे। उन्हें जैन धर्म के महत्वपूर्ण आचार्यों में से एक माना जाता है। इसलिए, कल्पसूत्र न केवल तीर्थंकरों की जीवनी का संग्रह है, बल्कि जैन भिक्षुओं के लिए एक मार्गदर्शिका भी है और जैन धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझने में मदद करता है।

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