चालुक्य शासक कुमारपाल (1143-1172 ई.) एक महत्वपूर्ण शासक थे जिन्होंने जैन और ब्राह्मण दोनों धर्मों के मंदिरों का निर्माण करवाया था। यह उनकी धार्मिक सहिष्णुता और उदार दृष्टिकोण को दर्शाता है। कुमारपाल और जैन धर्म: कुमारपाल का जैन धर्म के प्रति विशेष झुकाव था। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने जैन विद्वान हेमचंद्राचार्य से प्रभावित होकर जैन धर्म को अपनाया था। उनके शासनकाल में गुजरात जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। उन्होंने कई जैन मंदिरों का निर्माण करवाया, जिनमें सबसे प्रसिद्ध हैं: तारंगा मंदिर: यह मंदिर उत्तरी गुजरात में स्थित है और जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। गिरनार मंदिर: यह मंदिर गुजरात के जूनागढ़ के पास स्थित है और जैन धर्म के श्वेतांबर संप्रदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। कुमारपाल और ब्राह्मण धर्म: जैन धर्म के अनुयायी होने के बावजूद, कुमारपाल ने ब्राह्मण धर्म के मंदिरों का भी निर्माण करवाया। यह दर्शाता है कि वे सभी धर्मों के प्रति समान रूप से सहिष्णु थे। उन्होंने कई शिव और विष्णु मंदिरों का निर्माण करवाया, जिनमें सबसे प्रसिद्ध हैं: सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण: महमूद गजनवी द्वारा नष्ट किए जाने के बाद कुमारपाल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। अन्य योगदान: कुमारपाल ने अपने शासनकाल में कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी किए, जैसे कि सड़कों, जलाशयों और धर्मशालाओं का निर्माण। उन्होंने शिक्षा और कला को भी प्रोत्साहित किया। कुल मिलाकर, कुमारपाल एक महान शासक थे जिन्होंने गुजरात को समृद्ध और शक्तिशाली बनाया। उन्होंने जैन और ब्राह्मण दोनों धर्मों को समान रूप से संरक्षण दिया और धार्मिक सहिष्णुता की मिसाल कायम की।

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