जैन धर्म का सबसे बड़ा केंद्र चम्पानगरी था। यह वर्तमान बिहार राज्य में स्थित भागलपुर के निकट स्थित एक प्राचीन शहर था। चम्पानगरी न केवल जैन धर्म का एक प्रमुख केंद्र था, बल्कि यह अंग जनपद की राजधानी भी थी, जो प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदों में से एक था। चम्पानगरी का जैन धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रहा है, क्योंकि यह माना जाता है कि यहाँ जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर, वासुपूज्य का जन्म हुआ था और उन्होंने यहीं पर मोक्ष प्राप्त किया था। इस कारण से, चम्पानगरी जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ पर वासुपूज्य स्वामी का एक विशाल मंदिर भी है, जो जैन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके अतिरिक्त, चम्पानगरी जैन विद्वानों और आचार्यों का भी केंद्र रहा है, जिन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों और दर्शन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहाँ पर कई जैन मठ और शिक्षण संस्थान भी स्थापित थे, जहाँ जैन भिक्षुओं और अनुयायियों को धर्म की शिक्षा दी जाती थी। चम्पानगरी का महत्व केवल जैन धर्म तक ही सीमित नहीं था, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र भी था। यहाँ से विभिन्न प्रकार के वस्तुओं का व्यापार होता था, जिससे यह शहर आर्थिक रूप से समृद्ध था। संक्षेप में, चम्पानगरी जैन धर्म का एक प्रमुख केंद्र होने के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल भी था, जिसने प्राचीन भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत क्या था?

जैन धर्म के अनुसार निर्वाण प्राप्ति के लिये किसका अनुशीलन आवश्यक है?

जैन धर्म के उपदेश भिक्षुओं के कर्तव्य का वर्णन किस सूत्र में मिलता है?

जैन धर्म के चौथे तीर्थंकर कौन थे?

जैन धर्म के तीर्थंकर अजितनाथ (द्वितीय) का प्रतीक चिन्ह क्या था?

जैन धर्म के तीर्थंकर अरिष्टनेमि (बाइसवें) का प्रतीक चिन्ह क्या था?

जैन धर्म के तीर्थंकर ऋषभदेव (प्रथम) का प्रतीक चिन्ह क्या था?

जैन धर्म के तीर्थंकर नामि (इक्कीसवें) का प्रतीक चिन्ह क्या था?

जैन धर्म के तीर्थंकर पार्श्व (तेइसवें) का प्रतीक चिन्ह क्या था?

जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर (चौबीसवें) का प्रतीक चिन्ह क्या था?

New Questions