प्रथम जैन भिक्षु नरेश दधिवाहन की पुत्री का नाम चम्पा था। चम्पा, राजा दधिवाहन की पुत्री, जैन धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उन्हें प्रथम जैन भिक्षुणी होने का गौरव प्राप्त है। राजा दधिवाहन अंग देश (वर्तमान बिहार का भाग) के शासक थे। चम्पा का भिक्षुणी बनना एक महत्वपूर्ण घटना थी क्योंकि इसने जैन धर्म में महिलाओं के लिए सन्यास और मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त किया। ऐसा माना जाता है कि भगवान महावीर स्वामी ने स्वयं उन्हें दीक्षा दी थी। चम्पा ने जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करते हुए त्याग और तपस्या का जीवन व्यतीत किया। उन्होंने अन्य महिलाओं को भी जैन धर्म अपनाने और भिक्षुणी बनने के लिए प्रेरित किया, जिससे जैन समुदाय में महिलाओं की भूमिका मजबूत हुई। चम्पा का नाम जैन धर्म के अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और उन्हें त्याग, समर्पण और आध्यात्मिक उन्नति के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है।

New Questions