द्वितीय जैन सभा का आयोजन वलभी में हुआ था, जो वर्तमान में गुजरात राज्य में स्थित है। यह सभा 5वीं शताब्दी ईस्वी में, संभवतः 512 ईस्वी में, देवर्धिगणी क्षमाश्रमण की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी। इस सभा का मुख्य उद्देश्य जैन धर्म के आगम साहित्य (शास्त्रों) को अंतिम रूप देना और उन्हें लिपिबद्ध करना था। पहली जैन सभा पाटलिपुत्र में आयोजित की गई थी, लेकिन उस समय संकलित आगम साहित्य पूरी तरह से सुरक्षित नहीं रह पाया था। वलभी में हुई दूसरी सभा में, विद्वानों ने पूर्ववर्ती आगम साहित्य की समीक्षा की, उसे व्यवस्थित किया और आवश्यक संशोधन किए। परिणामस्वरूप, 11 अंग, 12 उपांग, 6 छेदसूत्र, 4 मूलसूत्र और अन्य प्रकीर्णक ग्रंथों सहित जैन आगम साहित्य को लिपिबद्ध किया गया, जिससे यह भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित हो गया। यह वलभी सभा जैन धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि इसने जैन साहित्य को संरक्षित करने और उसे मानकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

New Questions